Maulana Mazharul Haq (Hindi)


मौलाना मजहरुल हक का जन्म 22 दिसम्बर 1869 को पटना जिले के ब्रह्मपुर के थाना मनेर में हुआ था। उन्हें बहुत से भूमि उनके रिश्तेदारों द्वारा दी गई और 1900 में जिला सिवान के गांव फरीदपुर में बस गए। उन्होंने सिवान के फरीदपुर गांव में एक घर का निर्माण कराया और इसका नाम ‘आशियाना’ रखा। 1927 में पंडित मोतीलाल नेहरु, श्रीमती 1928 में सरोजनी देवी, पंडित मदन मोहन मालवीय, के.एफ. नरिमन और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने faridpur में उनके का घर ‘आशियाना’ का दौरा किया। वह शेख अमुदुल्ला के तीन बच्चों में एकमात्र बेटा थे| उनकी बहनो का नाम गफ़रुनीशा और कानीज फाटमा थे। उनके पिता एक अमीर मकान मालिक थे। मौलाना मजहरुल हक घर पर एक मौलवी से अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और १८८६ में पटना कॉलेजिएट से मैट्रिक पास किया| फिर वह उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ गए और Cannigh कॉलेज में प्रवेश ले लिया लेकिन वह खुद को समायोजित नहीं कर सके और 1886 में कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए। वह 1891 में कानून की पढ़ाई करने के बाद भारत लौट आए और पटना में अभ्यास शुरू कर दिए। अपने दोस्त विलियम बार्कर की सलाह पर उन्होंने मुनीसफ के रूप में न्यायिक सेवा में शामिल हो गए लेकिन उन्होंने जल्द ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश के साथ मतभेदों होने बाद बाद इस्तीफा दे दिया और छपरा में अभ्यास शुरू कर दिए थे | फिर से वह कानून का अभ्यास करने के लिए 1906 में पटना उच्तम न्यालय चले गए| 1906 में उन्हें बिहार कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष के रूप में चुन लिया गया था। उन्होंने एक पत्रिका ‘मातृभूमि’ लिखे. उन्होंने चंपारण आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और उनको अंग्रेजी हुकुमतगारो ने ३ माह की कारावास की सजा सुनाई। वह पटना में “सदावतन आश्रम” और “बिहार विद्यापीठ” के संस्थापक भी थे|

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