आइज़क न्यूटन का जन्म 4 फरवरी 1642 को इंग्लैंड के वूलस्थ्रोप मेनर में हुआ था । न्यूटन के जन्म के समय इंग्लैंड ने ग्रिगोरियन केलेंडर को नहीं अपनाया था इसलिए उनके जन्म की तिथि को क्रिसमस दिवस 25 दिसंबर 1642 के रूप में दर्ज किया गया। न्यूटन के पिता का भी नाम आइजक न्यूटन था जिनकी मृत्यु न्यूटन के पैदाइश के 3 माह पहले ही हो गई थी। न्यूटन के माता का नाम हन्ना ऐस्क्फ़ था । उनकी माता का कहना था कि न्यूटन जन्म के समय काफी कमजोर था वह एक चौथाई गैलन जैसे छोटे से मग में आसानी से समा सकता था या उसे किसी बड़े इंसान के हथेली पर आसानी से रखा जा सकता था । जब न्यूटन की उम्र 3 वर्ष थी तो उनके मां ने द्वारा शादी कर ली। न्यूटन के सौतेले पिता का नाम रेवरंड बर्नाबुस स्मिथ था। न्यूटन अपने सौतेले पिता से नफरत करता था और उनके साथ शादी करने के कारण वह अपने मां से भी नफरत करता था। न्यूटन के द्वारा लिखी गई पुस्तक में न्यूटन के द्वारा कहा गया कि मैंने अपने सौतेले पिता स्मिथ के घर को जलाने की धमकी दी थी।
दोबारा शादी करने के बाद न्यूटन की मां अपने पति बर्नाबुस स्मिथ के साथ रहने चली गई और अपने पुत्र न्यूटन को उसकी नानी मर्गेरी के पास देखभाल के लिए छोड़ दिया। 11 वर्ष की आयु के बाद न्यूटन का नामांकन दी किंग्स स्कूल, ग्रान्थम में करा दिया गया वहां उन्होंने 17 वर्ष की आयु तक शिक्षा प्राप्त की , उन्हें अपने सहपाठियों से लड़ाई करने के कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और 1659 को वह वूलस्थ्रोप मेनर लौट आए। उसी समय उसकी मां भी दूसरी बार विधवा हो जाने के कारण वूलस्थ्रोप लौट आई। और वह न्यूटन को किसान बनाए जाने पर जोर देने लगी। न्यूटन खेती से नफरत करते थे । लेकिन वे स्कूल में विज्ञान के अंतर्गत छोटे-छोटे अविष्कारों के कारण काफी चर्चित थे।इसलिए कुछ दिन बीत जाने के बाद किंग्स स्कूल के प्रिंसिपल हेनरी स्टोक्स ने उनकी मां से कहा कि वे उन्हें फिर से स्कूल भेज दें ताकि वह अपनी शिक्षा पूरी कर सकें लेकिन न्यूटन की मां उसे द्वारा स्कूल भेजे जाने के खिलाफ थी क्योंकि न्यूटन की मां के पास न्यूटन को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे पर हेनरी स्टॉक्स के निशुल्क पढ़ाने के वादे के कारण वह न्यूटन को दोबारा स्कूल भेजे जाने पर राजी हो गई, और न्यूटन ने किंग्स स्कूल से पढ़ाई पूरी की। जून 1661 में न्यूटन का नामांकन ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज में करा दिया गया। उस समय ट ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज की शिक्षाएं अरस्तु पर आधारित थी लेकिन न्यूटन रेने देकार्ते , कॉपरनिकस , गैलीलियो और कैपलर के विचारों को पढ़ना चाहते थे। न्यूटन की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह अपना खर्च बाकी के अमीर छात्रों के व्यक्तिगत कार्य करके निकालते थे। आइज़क न्यूटन दार्शनिक रेने देकार्ते के विचारों को काफी पसंद करते थे और उनके लिखी पुस्तकों को पढ़ने के कारण उन्होंने अपने आसपास के पर्यावरण ,पदार्थों की प्रकृति , प्रकाश रंग, ब्रह्मांड के नियम आदि पर प्रश्न करने शुरू कर दिए।
सन् 1665 में इंग्लैंड मैं प्लेग की महामारी फैल गई जिसके कारण 10 अक्टूबर 1665 को कैंब्रिज विश्वविद्यालय को बंद करना पड़ा। जिसके कारण न्यूटन अपने घर लौट आए। सन् 1666 को न्यूटन ने आधुनिक कैलकुलस पर 3 शोध पत्र प्रस्तुत किए और इनकी इन शोध पत्रों की पूरे यूरोप में काफी चर्चा हुई। उसी समय न्यूटन ने गति के तीन नियम और उन पर आधारित गुरुत्वाकर्षण का नियम बनाया।
1668 में न्यूटन ने एक प्रकार की दूरबीन बनाई जिसका आकार मात्र 6 इंच था और यह छोटी दूरबीन पहले की दूरबीनों की अपेक्षा 35 गुना ज्यादा बेहतर थी । इस दूरबीन के द्वारा अलग-अलग ग्रहों को भी देखा जा सकता था।
सन् 1669 के अक्टूबर माह में न्यूटन को गणित का प्रोफेसर नियुक्त किया गया। सन् 1696 में भी लंदन मिनट के वॉर्डन तथा 1699 में वहां के मास्टर बन गए सन् 1703 में उन्हें रॉयल सोसाइटी का अध्यक्ष पद प्राप्त हुआ जिस पर वे अपने मृत्यु तक रहे । सन् 1705 में एनी ने उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया इस उपाधि से सम्मानित होने वाले न्यूटन पहले वैज्ञानिक थे। 31 मार्च सन् 1727 को ये महान वैज्ञानिक इस संसार से विदा हो गए।
न्यूटन ने कई पुस्तकें लिखी , अपनी पहली पुस्तक 'कुछ दार्शनिक प्रश्न' के आरंभ में वे कहते हैं कि "प्लेटो मेरा मित्र है, अरस्तु मेरा मित्र लेकिन मेरा सबसे प्यारा मित्र है सत्य है"। न्यूटन की प्रसिद्धि का प्रमुख आधार है सन 1687 में प्रकाशित उनकी पुस्तक mathematical principles of natural philosophy इसे संक्षेप में प्रिंसिपिया ( Principia) भी कहते हैं । आज के विज्ञान के इतिहास में यह पुस्तक मील का पत्थर मानी जाती है।
सन् 1704 में न्यूटन की एक और पुस्तक optics (प्रकाशिकी) प्रकाशित हुई। इस पुस्तक मैं न्यूटन ने प्रकाश का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इस पुस्तक से पहले रंगों के बारे में अजीब तथा अलग-अलग धारणाएं थी जैसे प्रिज्म ही प्रकाश को रंगीन बनाता है। परंतु न्यूटन में सिद्ध किया के सफेद रोशनी अलग-अलग रंगों से बनी होती है,और प्रिज्म इन रंगों को अलग-अलग करके दिखा देता है।
विज्ञान के इतिहास में सदा चमकने वाले इस सितारे को दुनिया कभी नहीं भुला सकती है।
..... सेमिनरी क्लासेस की ओर से।
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