Nida Fazli Kavita

         Nida Fazli Kavita 



 नज़दीकियों में दूर का मंज़र तलाश कर

जो हाथ में नहीं है वो पत्थर तलाश कर.


सूरज के इर्द-गिर्द भटकने से फ़ाएदा

दरिया हुआ है गुम तो समुंदर तलाश कर.


तारीख़ में महल भी है हाकिम भी तख़्त भी

गुम-नाम जो हुए हैं वो लश्कर तलाश कर.


रहता नहीं है कुछ भी यहाँ एक सा सदा

दरवाज़ा घर का खोल के फिर घर तलाश कर.


कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन

फिर उस के बाद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर.

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