Poem on Mother


Poem on Mother

मां


वो मां है , जिनके कदमों में जन्नत भी आकर बस्ती है।


उलेमाओं के दुनिया में लाखों आलिम आए गए

इन सबकी इज्जत मां से ह,इन सब की अजमत मां से है।

फतेह आलम ,फतेह आजम इन सब की दिलेरी जिनसे है

वो मां की वाहिद हसती है।

वो मां है जिनके कदमों में जन्नत फिर आकर बस्ती है।





गर तू भी इज्जत व अजमत चाहे ,दुनिया में हो तेरी बढ़ाई

तू जाकर पास अपनी मां के , बन जा तू उनकी परछाई

मां की दुआ का असर बहुत है ,पर कीमत काफी सस्ती है।

वो मां है , जिनके कदमों में जन्नत भी आकर बस्ती है।





याद करो तुम दिन बचपन के ,जब तू नन्ना मुन्ना था

प्यार से पाला किसने तुझको , दिल से संवारा किसने तुझको

भूलो मत इन एहसानों को, अब भी तेरी मां के हाथों तेरी मंजिल की कश्ती है

वो मां है जिनके कदमों में जन्नत भी आकर बस्ती है।





शहनवाज बड़ा तू नादान ह,तू मां पर कैसे लिखता है।

इन उलमाओं की धरती पर लाखों शोरा आए गए

इन सब ने मां पर लिखा है और सब ने गजलें गाई है।

जब मां पर कलमें चलती है तो ईश्वर की रहमत बरसती है।

वो मां है जिनके कदमों में जन्नत भी आकर बस्ती है।



#Mothers'day
....... शहनवाज खान

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