Shayri of Nida Fazli on life


Poem of Nida Fazli on Life



सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो 

सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो



इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो 

बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो



किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं 

तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो



यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता 

मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो



यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें 

इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो



हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश 

हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो



कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा 

ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो

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